Monday, July 15, 2013

प्रज्ञा की शादी और मुन्नू मियां


लड़के वालों की और से नाचने वाले बार बार fevicol गाने की फरमाइश कर रहे थे, करें भी क्यूँ ना ,मुर्गा ,अल्कोहल वाले स्टेप्स जो हैं उसमें और एक दोस्त ने तो जो नागिन step दिखाया है,अहा ,गुद गुदी हो गयी सबको,उठकर कोट से धुल साफ़ की और गोविन्दा अंदाज़ में फिर लग गया झूमने .गोंडा वाले फूफा का मन तो कर रहा था की वो भी कूद पड़ें नाच में ,तुरंत बुआ ने आँख तरेरी,अब लड़की वाले जो ठहरे ,उसकी भी कुछ limitations होती हैं ,उन्होंने अपना मन मारा और अपने GALAXY S4 को keypad on -of देखने करके देखने लगे .

दुल्हे राजिव को सालों ने बघ्घी से उतारा और प्रज्ञा के पिताजी ने ऐसे गले लगाया जैसे उनको खुद का बेटा बरसों बाद आया हो .आस पास की औरतें जिनका discussion अभी तक एक दुसरे के गहने ,साड़ी और पल्लुओं पर था ,अब प्रज्ञा की पिताजी के आंसुओं पे distract हो गया था breaking news की तरह ख़ैर मुन्नू मियां ठहरे मोटी बुद्धि, उनकी समझ कहाँ आना था ?उन्हें तो थोडा दुःख था की कालोनी की लड़की की शादी हो रही है,( हमेशा हरियाली की खोज में लगे मुन्नू थोड़े दिलफेंक जो थे ) .थोड़ी देर बाद उन्हें मूंग की दाल के चीले की फ़िक्र हुई .चीला निबटाने के बाद उनकी पसंदीदा चीज़ थी आलू की टिक्की,जहां लगा था जमघट auntiyon ,दूर की बहनों ,भाभियों और कुछ अन्य सुन्दर चेहरों का जैसे सब हरिद्वार के हर की पौड़ी पे हाथ आगे करके सुर्यमस्कर कर रही हों .,लेकिन मुन्नू मियां ठहरे पुराने तीरंदाज़ ,मीठी बातों की पोटली खोली और शुरू हो गए जी, भैया कैसे हैं ?आपने ये साड़ी myntra .com से मंगवाई ?आखिरी बार जो आपके यहाँ हलवा खाया था ना भाभी जी , भूला नहीं अभी तक .टिक्की पे हलकी सौंठ डलवा के निकल लिए मुन्नू, ricky behl से कम नहीं  समझ रहे थे खुद को .vanilla आइसक्रीम पे गुलाबजामुन डाला ही था ,की कानों में पड़ोसन की टीटीहेरी जैसी बोली सुनाई दी,ये मुन्नू देखो,अरे पीछे सिंह साहब का छोटा वाला , खाली है , अब दिखा है , ना जाने कहाँ था 2 साल से , मुन्नू ने सोचा अब इनको मेरे standard के बारे में क्या पता ?

चले गए कोने में,फ़ोन पे busy हो गये,अब रात को माशूका ही होगी मुन्नू की ,(शक्ल से कोयले की खदान के मजदूर लगने वाले मुन्नू जैसों की माशूका ?? बताओ !)
 ख़ैर photosession निकला ,फेरे होने जा रहे थे .
मुन्नू दुल्हन देख के चौंक गया,ये.......... वही प्रज्ञा है ?? गोंडा वाले फूफा से उन्होंने अकेले में पुछा तो उन्होंने कहा :तुम्हे नहीं पता ? प्रज्ञा के चेहरे को जला दिया था किसी नामर्द ने तेज़ाब फेंक के 1 साल पहले ,शर्मा जी 10 लाख के नीचे आगये थे operation वगरह में ,लेकिन भैया प्रज्ञा ने हिम्मत नहीं हारी थी ,नाम बताकर ,पुलिस के लफड़े में पड़कर,उस नीच को तो जेल भिजवाया ही और उसके 4 महीने बाद एक N .G .O शुरू कर खुद के जैसो पीड़ित लोगो को इन्साफ दिलाने के लिए आशा बनकर उभरी है ,लेकिन शर्मा जी को टेंशन थी प्रज्ञा की शादी की ,जिसकी हामी प्रज्ञा के दोस्त ने भरकर प्यार की अजब कहानी लिखी है भैया, लड़के का खुद का कॉल सेंटर है-गरीबो के लिए ,,इसलिए तो प्रज्ञा के पापा की आँखों में पानी था.......... ,पूरी शादी लड़के वालो ने की है,,,,दुनिया के हर लड़की वाले ने ठेका थोड़े लिया है की लड़की के साथ-२ पैसे भी दें ,,......बताओ ,दुनिया में ,ऐसे भी लोग हैं ... ......................................(शान्ति )
और एक तुम हो मुन्नू , निकम्मे , वहीँ के वहीँ !
मुन्नू : अमां यार , तुम ..,तुम गोंडा ही जाओ , शक्ल से बड़ा तुम्हारी तोंद है ,तोंदा निकाल के खेलो ,अपना ,गैलेक्सी ...s4 .... .
मुन्नू हैरान था ,कान में earphones डाल के टेम्पो पकड़ ,निकल गया रात को घर के लिए .earphones से जो गाना सुन रहा था गाने के बोल कुछ इस तरह थे :
एक जीत तू है , एक हार मैं हूँ 
हार जीत जोड़े 
वो तार मैं हूँ ........

मुन्नू शायद अब भी अनजान था ,लूटेरा के इस गीत के बोल से भी और प्यार से भी !..............
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