Sunday, December 21, 2014

napunsak

तुम व्यवस्था पे काबिज रहने वाले, हिंसक हो या नपुंसक हो?
रमज़ान में शैतान को रिहा कराने वाले, हिंसक हो या नपुंसक हो?
बेटियों पर आंच को लड़कों की गलती कहने वाले,
ऐ मुलायम ....
शर्म आज फिर लज्जित है, लेकिन तुम फिर भी नपुंसक हो ..

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