Friday, August 2, 2013

Class Monitor : A short story

वो soft -spoken पढ़ाकू और प्यारी होने के साथ-2 क्लास montior भी थी. स्कूल टाइम पे develop हुआ,अरे हाँ, आजकल की भाषा में कहे तो amanjot ,हमारी पहली crush थी .पहली लड़की थ, जिसने हमसे बात की थी ,बात क्या ,क्लास में हमें बाकी लडको के साथ चुहलबाजी देख झडपा था.ख़ैर, हमारे लिए तो वो ही बहुत था .हम भी बार -2 जान के अपने दोस्तों के साथ बकर करते ,जिससे उसका attention हमपे आये और हमारा नाम blackboard पे .आखिर टीचर की डांट की फ़िक्र किसे थी ....
मौका हमे भी मिला ,क्लास monitor भी बन गए ,लेकिन उसके करम ब्लैकबोर्ड पे आने लायक नहीं, साल के आखिर में result -board पे छपते थे.मिस करने लगा था उसका monitor बने रहना .उसकी झड़प ही सही ,बात करना चाहता था ,लेकिन डरता था की अगर girls -row की तरफ गया, तो हमारे निकम्मे दोस्त छोड़ेंगे नहीं हमें .शाहरुख़ खान की फिल्म में सुना था की अगर किसी चीज़ को दिल से चाहो ,तो पूरी कायनात उसे तुमसे मिलाने में लग जाती है ,आखिर वही हुआ .
टीचर ने हमे बुलाया पूरे साल की attendance नोट करके बच्चो को देने को .अब हमे तो खज़ाना मिल गया था ! बिना फेसबुक के जमाने के उन दिनों में ,वो register,सभी के private profile stalk करने जैसा था .घर के फोन से लेकर दादा-दादी तक का नाम,गड़े हुए धन की तरह मिला था.उसका नंबर नोट कर लिया था,आखिर अपने निकम्मे दोस्तों के बिना,private में,फोन पे साल भर की दिली तमन्ना पूरा करने का जो मौका था .
माँ अपनी सखी सहेलियों के साथ बहार बैठी थीं और हम फ़ोन के साथ. फ़ोन मिलाया और घंटी जाने लगी .हर घंटी के साथ हमारे दिल की धड़कन बढती और दिल की धड़कन बढ़ते-2 पसीने आ गये थे हाथ और माथे दोनों पे .फोन उठा और सुरीली आवाज़ में अमनजोत की आवाज़ में hello सुनाई दी,सब कुछ plan करने के बाद भी हम काँप रहे थे और बिना कुछ बोले उसके 4-5 बार hello कहने के बाद फ़ोन रख दिया .5 मिनट लग गये खुद को calm-down करने में.नीचे पार्क से मुन्नू मियां के अबे,तबे की आवाज़ आ रही थी .ख़ैर ,फिर से हिम्मत करके फोन लगाया और जैसे ही उसने उठाया,गाना चला दिया गया cassette player पे "बस एक सनम चाहिए................. आशिकी के लिए ..."....... ..........बीच में चेक करके देखा ,फोन काटा नहीं गया था ,जो इस बात का सबूत था की उसे हमारा ये अजीब proposal पसंद आया.गाना रोक गया और इससे पहले की हम कुछ कहते ,उधर से आवाज़ आई ,"कौन है ?मैंने ये नंबर नोट कर लिया है ,अभी पुलिस को देती हूँ ये नंबर " 
इसके बाद तो हमे कंपन आ गई पूरे शरीर में ,इस बार माथे, हाथ से निकलकर पसीने ने receiver सना दिया था .हर पल,इस डर के मारे की पुलिस आती ही होगी बाप-बेटे को पकड़ने ,मुझे फोन से लड़की को छेड़ने और उन्हें भी,क्यूंकि फोन उनके नाम पे था ,मेरा दिल फिर से धड़कने लगा .आगे क्या करना है समझ नहीं आ रहा था .तभी doorbell की आवाज़ सुनाई दी .हलक सूख चुका था ,दो पुलिस वालों के बारे में सोचते हुए दबे पाँव से परदे में से देखने की हिम्मत की.आखिरकार 3 बार bell बजने पे दरवाजा खोल ,तो पापा को नाराज़ लुक में खड़ा पाया .इससे पहले की वो कुछ कह पाते ,मैंने उनसे कहीं 
दूर ले जाने की बात कही और वो कुछ जवाब देते ,तभी फोन की घंटी बजी.मेरे कई बार उनको फोन न उठाने के असफल प्रयत्न करने के बाद भी उन्होंने उठाया और मैंने खुद से दबी आवाज़ में कहा " पापा नहीं....... , वो पुलिस होगी "
"सागर तुम्हारे लिए है , तुम्हारी classmate अमनजोत ",उन्होंने कुछ देर बाद कहा,अचंभित होते हुए ,होते भी क्यूँ ना ,आखिर पहली बार किसी लड़की का फोन आया था,वर्ना मुन्नू और निकम्मे दोस्त ही करते थे bat-ball के बुलावे को .अब इन दो बात से embaraased हो चुके हमने सोचा की अमनजोत ने हमे figureout कर ही लिया होगा .......
बेहद डरते और असहज होते हुए रिसीवर पकड़ के मरा हुआ Hello कहा ही था ..........और तभी मुझे,उधर से गाना सुनाई दिया " तुझको मिर्ची लगी ....तो मैं क्या करूं ".....

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