रक्षाबंधन था ,ऑफिस की जहां छुट्टी थी ,फेसबुक पे अंकित उसके दोस्तों के अपनी बहनों से राखी बंधवाने की pics देख रहा था .
अब लैपटॉप में मूवीज सारी देखि हुईं थी,दोस्तों को फोन मिलाया ..तो किसी का ऑफिस था ,तो कोई अपने घर वालो के साथ, ख़ैर स्कूल के एक friend जो उसी के शहर में रहता था :राजीव ,से बात हुई और तय हो गया 2 बजे का चेन्नई एक्सप्रेस का टिकेट,2 बजने में भी 3 घंटे थे .अब बाकी दो घंटे क्या करे.शायद उदास था घरवालो से त्यौहार पे ना मिल पाने की वजह से,लेकिन सबसे ज्यादा MISS अपनी देहरादून रहने वाली चचेरी बहन को कर रहा था.अंकित -सुमित जहां दो भाई थे ,आशा इकलौती थी .बचपन से ही आशा दोनों को गिफ्ट लेने के बाद राखी बाँधा करती थी .चाचा के देहरादून तन्स्फेर हो जाने के बाद भी देहरादून से आशा की राखी आती रही ,कभी कूरियर तो कभी डाक से .अब शादी हो चुकी थी आशा की और बच्चे भी.
उसके शादी होने और अपनी नौकरी लगने के बाद शायद वो लगाव भी कम हो गया था .busy हो गए थे अपनी दिनचर्या में दोनों .पिछली बार आशा से उसकी बात भी 6 महीने पहले हुई थी,जीजू के जन्मदिन पे,
तभी कूरियर वाला आता है,बेल बजाता है......
आशा की राखी इस बार थोड़ी लेट थी लेकिन भूली नहीं थी वो.राखी देखकर अंकित का अकेलापन और बढ़ गया ,उससे रुका नहीं गया और करा ली 5 बजे की टिकेट बुक BANGaLORE तो DEHRADOON की.राजीव को फोन कर के प्रोग्राम कैंसिल कर दिया था MOVIE का,दोस्त था और अकेला था , इसलिए कई बार समझाने पे समझा...... :)
अंकित 7 : 3० देहरादून पहुँचने पे,जब टैक्सी में बैठा हुआ आशा को फोन करता है
अंकित : अरे बड़े लोग ,भूल गए लगता है
आशा : अच्छा बच्चू ,खुद मेरी लड़की का B 'DAY भूल गया ,और मुझसे ही शिकायत ,ये बता राखी मिली मेरी ?
अंकित : हाँ हाँ ,राखी मिली लेकिन बाँधी नहीं
यह कहते ही अंकित ने फोन ऑफ कर लिया,आशा ने बार बार मिलाया लेकिन सारे प्रयास असफल ..
थोड़ी देर में घंटी बजती है और दरवाजे पे आशा अंकित को देखकर चौंक जाती है
अंकित : HAAAAAPY रक्षाबंधन ...!!!!
आशा ..HAWWWW ..तू पागल है ,तू यहाँ आया हुआ था क्या ? इतनी देर से फोन मिला रही थी ,,,हद्द है ..पागल आज तो फ्लाइट भी बहुत महंगी होंगी ......और में इस उम्र्र में चॉकलेट खाऊँगी ?
अंकित : अरे अन्दर तो घुसने दो , सॉरी दी ,बस तुरंत ही प्रोग्राम बना ,इसलिए ये CHOCOLATE ही ..
आशा : चुप पागल ,सबसे बड़ा गिफ्ट है तेरा TIME ,तू आया ,तूने हमको टाइम दिया ,ये कम बड़ा गिफ्ट है,बाकी गोल्डन रिंग तो ...तेरी थोड़ी सैलरी और बढ़ जाये ,ले ही लूंगी ....
ठहाके लगने लगे ...
आशा को अपने सबसे प्यारे भाई का TIME मिल गया था ,अंकित को त्यौहार के दिन परिवार का साथ और बच्ची को, उनकी माँ को मिली हुई चॉकलेट ...और किसी को क्या चाहिए ?
अगर यह सूरज बडजात्या टाइप STORY बोर लगी हो तो गालियाँ आमंत्रित है ..कहानियों का सफ़र आगे भी चलता रहेगा ,..मुन्नू मियां भी आयेंगे .
No comments:
Post a Comment