स्क्रेपबुक भी अलग ही चीज़ होती थी .स्कूल छोड़ते वक़्त ये एकलौती किताब जिसे हर कोई भरना और देखना चाहता था ठीक आजकल के फेसबुक की तरह .किसका पहला crush कौन ,किसका best friend कौन,what i want to be, favorite food .....इसे देखने की उत्सुकता सभी में रहती थी और लड़कों को ये चीज़ें तो VIP ट्रीटमेंट जैसी लगती थी,अरे PERSONAL DETAILS लेना किसी ऑटोग्राफ से कम थोड़े ही था .......
तैयार होने के बाद सलोनी की नज़र bookshelf में रखी स्क्रैपबुक पे गयीं .
FRIENDSHIP DAY था उस दिन ,सलोनी ने रोली,अखिल,विनय को WHATSAPP कर दिया था .ख़ैर,सलोनी ने फोन से कई बार एक फ़ोन नंबर पे कॉल लगाया,लेकिन कई बार न उठने के बाद उफ़ कहकर फोन रख दिया.
सलोनी ने स्क्रैपबुक खोली और पहला पेज खोलते ही यादें ताज़ा हो गयीं....सबके डिटेल्स थे उसमें , मोहन को छोड़ के ......
कुछ दिन ही बचे थे स्कूल ख़त्म होने में,सलोनी,रोली और विनय लंच करके आ रहे थे.अखिल ने पीछे से सलोनी के टप्पा मारा और जल्दी से मार के भागा .रोली ,सलोनी जब उसकी और दौड़े , वो प.टी उषा की माफिक भागता हुआ क्लास के अन्दर घुस गया .12 :20 पे इंटरवल ख़तम होता था और अखिल 12 :17 पे क्लास में था .क्लास में आज कोई नहीं था ,सिवाय मोहन के.सलोनी का बैग खुला हुआ मोहन का सर सलोनी के बैग की और झुका हुआ था और हाथ में सौ का नोट .टिफ़िन की चोरियां तो आम थी, पिछले कुछ दिनों से क्लास में चोरियां हो रही थी पैसो की और सभी SHERLOCK HOLMES की तरह पकड़ना चाहते थे उस चोर को .ग्रुप्स में जहाँ लड़कियां एक दुसरे पे शक कर रही थीं वहीँ कुछ पढ़ाकू लड़के अपने बैग पे ताला लगाने लगे थे .कई बार principal और teachers आगाह कर चुके थे "आप में से ही कोई है ,पकडे जाने पे ससपेंड होगा स्कूल से " ....ब्योमकेश बक्शी हो गए थे सब
अखिल मोहन की और अचम्भे में आगे बढ़ा .
मोहन पर किसी का शक नहीं गया था ,आखिर मोहन का काम गिटार बजाने और सीढ़ियों पे बैठ के सबको कमेंट पास करने तक जो सीमित था.तभी dhaaka सर ने एंट्री मारी क्लास में और जस की तस situation में खड़े दोनों को देख के समझ गये माझरा .ले गए बिना सुने कान पकड़कर मोहन को principal के पास और अखिल को गवाह के तौर पे .मोहन हो गया ससपेंड अगले 15 दिनों के लिए .जहां सलोनी खफा थी,वहीँ बाकी सब हैरान ,आखिर मोहन उन सबका पिछले तीन साल से दोस्त था ,वो ऐसे कैसे कर सकता था .........
तभी fon पे whatsapp ping हुआ और सलोनी ने स्क्रैपबुक बंद की और निकल पड़ी अपने दोस्तों से मिलने मॉल की ओर.
रोली ,अखिल ,विनय और मोहन वहाँ बैठे उसका इंतज़ार कर रहे थे ..सलोनी को देखते ही मोहन ने उसे केक देते हुए accent मारते हुए कहा : surprize !!!
सलोनी :मैंने कितनी बार फोन मिलाया ,...क्या हो गया है तुझको ...लम्बे बाल ..हाहाहा ,और क्या लाया है मेरे लिए ??
chocotrufelle केक !!!!!!!! केक देखते ही सलोनी उछल पड़ी ......और पूछा: तुम्हे कैसे पता ये मेरा favorite है ...?
मोहन ने याद दिलाया की सलोनी को chocotruffle केक पसंद है स्क्रैपबुक से ही पता चला और किस तरह उस दिन वो स्क्रैपबुक में बाकी लोगों के details पढने को बैग खोला था,ढूंढ ही रहा था तभी अखिल आया और फिर dhaaka और मामला खराब....और वो सौ रुपये मोहन के थे ,अपने बैग से निकालकर patties खाने जा ही रहा था ,तभी सोचा स्क्रैपबुक पढ़ ले ....
मोहन :आखिर दोस्त थे तुम्हारे , चोर नहीं ....वो तो अच्छा हुआ विनय ने guilt के मारे कुछ दिनों बाद कबूल लिया उसका गुनाह ,वर्ना तो पकोडे तल जाते board exams में हमारे ....पता तो तुम लोगों को लग गया था तभी लेकिन हम खुश नहीं थे ,....
अबे विनय मुह क्या लटकाया है ?? हमें पता है तू अब mature है,चल साले कुछ खिला,.....अपने b 'day पे क्लास में toffiyan भी नहीं बाँटता था ......चल...
मोहन के यही कहते सब हस पड़े....
sunday था ,सब अपने homtown में थे और सबसे बड़ी बात "busy " नहीं थे ....7 साल बाद मिले थे ये पांचो दोस्त ..जहां रोली hr मेनेजर थी एक कंपनी की ,अखिल दुबई में ब्रांड मेनेजर ,विनय govt जॉब में और अपने मोहन (मुन्नू मियां ) ....ज़िन्दगी(दोस्ती) जी रहे थे ..वो करना कम बड़ा काम है ...
तैयार होने के बाद सलोनी की नज़र bookshelf में रखी स्क्रैपबुक पे गयीं .
FRIENDSHIP DAY था उस दिन ,सलोनी ने रोली,अखिल,विनय को WHATSAPP कर दिया था .ख़ैर,सलोनी ने फोन से कई बार एक फ़ोन नंबर पे कॉल लगाया,लेकिन कई बार न उठने के बाद उफ़ कहकर फोन रख दिया.
सलोनी ने स्क्रैपबुक खोली और पहला पेज खोलते ही यादें ताज़ा हो गयीं....सबके डिटेल्स थे उसमें , मोहन को छोड़ के ......
कुछ दिन ही बचे थे स्कूल ख़त्म होने में,सलोनी,रोली और विनय लंच करके आ रहे थे.अखिल ने पीछे से सलोनी के टप्पा मारा और जल्दी से मार के भागा .रोली ,सलोनी जब उसकी और दौड़े , वो प.टी उषा की माफिक भागता हुआ क्लास के अन्दर घुस गया .12 :20 पे इंटरवल ख़तम होता था और अखिल 12 :17 पे क्लास में था .क्लास में आज कोई नहीं था ,सिवाय मोहन के.सलोनी का बैग खुला हुआ मोहन का सर सलोनी के बैग की और झुका हुआ था और हाथ में सौ का नोट .टिफ़िन की चोरियां तो आम थी, पिछले कुछ दिनों से क्लास में चोरियां हो रही थी पैसो की और सभी SHERLOCK HOLMES की तरह पकड़ना चाहते थे उस चोर को .ग्रुप्स में जहाँ लड़कियां एक दुसरे पे शक कर रही थीं वहीँ कुछ पढ़ाकू लड़के अपने बैग पे ताला लगाने लगे थे .कई बार principal और teachers आगाह कर चुके थे "आप में से ही कोई है ,पकडे जाने पे ससपेंड होगा स्कूल से " ....ब्योमकेश बक्शी हो गए थे सब
अखिल मोहन की और अचम्भे में आगे बढ़ा .
मोहन पर किसी का शक नहीं गया था ,आखिर मोहन का काम गिटार बजाने और सीढ़ियों पे बैठ के सबको कमेंट पास करने तक जो सीमित था.तभी dhaaka सर ने एंट्री मारी क्लास में और जस की तस situation में खड़े दोनों को देख के समझ गये माझरा .ले गए बिना सुने कान पकड़कर मोहन को principal के पास और अखिल को गवाह के तौर पे .मोहन हो गया ससपेंड अगले 15 दिनों के लिए .जहां सलोनी खफा थी,वहीँ बाकी सब हैरान ,आखिर मोहन उन सबका पिछले तीन साल से दोस्त था ,वो ऐसे कैसे कर सकता था .........
तभी fon पे whatsapp ping हुआ और सलोनी ने स्क्रैपबुक बंद की और निकल पड़ी अपने दोस्तों से मिलने मॉल की ओर.
रोली ,अखिल ,विनय और मोहन वहाँ बैठे उसका इंतज़ार कर रहे थे ..सलोनी को देखते ही मोहन ने उसे केक देते हुए accent मारते हुए कहा : surprize !!!
सलोनी :मैंने कितनी बार फोन मिलाया ,...क्या हो गया है तुझको ...लम्बे बाल ..हाहाहा ,और क्या लाया है मेरे लिए ??
chocotrufelle केक !!!!!!!! केक देखते ही सलोनी उछल पड़ी ......और पूछा: तुम्हे कैसे पता ये मेरा favorite है ...?
मोहन ने याद दिलाया की सलोनी को chocotruffle केक पसंद है स्क्रैपबुक से ही पता चला और किस तरह उस दिन वो स्क्रैपबुक में बाकी लोगों के details पढने को बैग खोला था,ढूंढ ही रहा था तभी अखिल आया और फिर dhaaka और मामला खराब....और वो सौ रुपये मोहन के थे ,अपने बैग से निकालकर patties खाने जा ही रहा था ,तभी सोचा स्क्रैपबुक पढ़ ले ....
मोहन :आखिर दोस्त थे तुम्हारे , चोर नहीं ....वो तो अच्छा हुआ विनय ने guilt के मारे कुछ दिनों बाद कबूल लिया उसका गुनाह ,वर्ना तो पकोडे तल जाते board exams में हमारे ....पता तो तुम लोगों को लग गया था तभी लेकिन हम खुश नहीं थे ,....
अबे विनय मुह क्या लटकाया है ?? हमें पता है तू अब mature है,चल साले कुछ खिला,.....अपने b 'day पे क्लास में toffiyan भी नहीं बाँटता था ......चल...
मोहन के यही कहते सब हस पड़े....
sunday था ,सब अपने homtown में थे और सबसे बड़ी बात "busy " नहीं थे ....7 साल बाद मिले थे ये पांचो दोस्त ..जहां रोली hr मेनेजर थी एक कंपनी की ,अखिल दुबई में ब्रांड मेनेजर ,विनय govt जॉब में और अपने मोहन (मुन्नू मियां ) ....ज़िन्दगी(दोस्ती) जी रहे थे ..वो करना कम बड़ा काम है ...
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