Monday, August 19, 2013

Friend Request : Short Story

Mills n boon की किताब पढने के बाद मरयम bed से उठी और facebook चाट ऑन कर ली .दिन भर मरयम उसका इंतज़ार करती ,वो भी पिछले दो महीने से,जबसे उसकी Friend Request आई थी ,जिसपे mills n boons की ही DP थी.
उसने कभी भी मरयम की तारीफ़ करने की कोशिश नहीं की थी बल्कि मरयम की हर नयी profile pic पे कमेंट करने की बजाय उसे रात भर जागने की वजह से आँख के नीचे बढ़ रहे काले घेरे जैसे यथार्थ के बारे में बताता .मरयम उसकी इस attention न पाने वाली,बिना तारीफ की इमानदारी से काफी impressed थी.
एक अजनबी से दो महीने में उसने तीन ही बार chat की थी ,लेकिन उसकी छोटी-२ बातों को observe करने की आदत ने,मरयम को उसके बारे में जाने की इच्छुक और उसे मरयम की नज़रों में बाकी लडको से काफी अलग बना दिया था .
उसकी समझदारी ,maturity और sensitivity से मरयम काफी प्रभावित थी.उसने मरयम को उसके थोड़े समय पहले हुए break -up ,नस काटने की कोशिश करने के बारे में बताया तो वो आश्चर्यचकित रह गयी....उसने मरयम के अम्मी-अब्बू के बीच बढ़ते हुए अनबन के संकेत देते हुए मरयम से इस विषय पे उसकी राय भी जानी,जिसे मरयम के अलावा कोई नहीं जानता था.इस बात ने उसे झकझोर दिया और इस पशोपेश में दाल दिया की जिस अजनबी इंसान से वो मिली नहीं ,उसे मरयम के बारे में इतना सच कैसे जानता है ?

तीन दिन बाद चाट करते हुए उसके एकदम से offline हो जाने के बाद भी ,मरयम के लिए वो पहेली बना रहा .उसने मरयम के लिए fb पे एक मेसेज छोड़ा जिसमें लिखा था की उसके अब्बू-अम्मी के बीच अब कोई अनबन नहीं रहेगी ,भले ही परिस्थियाँ कितनी भी बदतर थीं ".confused मरयम उसके ऑनलाइन आने का इंतज़ार करती रही ,की वो उससे इस सब रहस्य से पर्दा उठाने को कहेगी और अपनी असलियत बताने को .
वो उस रात,उसका इंतज़ार करती रही ,लेकिन वो नहीं आया .....

अगली सुबह ,उसकी अम्मी की चीख ने उसे जगाया .वो ह्ड़बड़आती ,दौड़ती हुई नीचे आई और देखा की उसके अब्बू खून से सने हुए हैं अनजान परिस्थिति में ,लेकिन दो चीज़ों से मरयम अब अनजान नहीं थी .....पास ही पड़े mills and boons के खून से भीगे हुए पन्ने और लैपटॉप पे facebook लॉग इन की screen ,जिससे वो अपनी प्यारी बेटी का offline फ्रेंड था ......

Time : A short story


रक्षाबंधन था ,ऑफिस की जहां छुट्टी थी ,फेसबुक पे अंकित उसके दोस्तों के अपनी बहनों से राखी बंधवाने की pics देख रहा था .
अब लैपटॉप में मूवीज सारी देखि हुईं थी,दोस्तों को फोन मिलाया ..तो किसी का ऑफिस था ,तो कोई अपने घर वालो के साथ, ख़ैर स्कूल के एक friend जो उसी के शहर में रहता था :राजीव ,से बात हुई और तय हो गया 2 बजे का चेन्नई एक्सप्रेस का टिकेट,2 बजने में भी 3 घंटे थे .अब बाकी दो घंटे क्या करे.शायद उदास था घरवालो से त्यौहार पे ना मिल पाने की वजह से,लेकिन सबसे ज्यादा MISS  अपनी देहरादून रहने वाली चचेरी बहन को कर रहा था.अंकित -सुमित जहां दो भाई थे ,आशा इकलौती थी .बचपन से ही आशा दोनों को गिफ्ट लेने के बाद राखी बाँधा करती थी .चाचा के देहरादून तन्स्फेर हो जाने के बाद भी देहरादून से आशा की राखी आती रही ,कभी कूरियर तो कभी डाक  से .अब शादी हो चुकी थी आशा की और बच्चे भी.
उसके शादी होने और अपनी नौकरी लगने के बाद शायद वो लगाव भी कम हो गया था .busy हो गए थे अपनी दिनचर्या में दोनों .पिछली बार आशा से उसकी बात भी 6 महीने पहले हुई थी,जीजू के जन्मदिन पे,
तभी कूरियर वाला आता है,बेल बजाता है......
आशा की राखी इस बार थोड़ी लेट थी लेकिन भूली नहीं थी वो.राखी देखकर अंकित का अकेलापन और बढ़ गया ,उससे रुका नहीं गया और करा ली 5 बजे की टिकेट बुक BANGaLORE  तो DEHRADOON  की.राजीव को फोन कर के प्रोग्राम कैंसिल कर दिया था MOVIE का,दोस्त था और अकेला था , इसलिए कई बार समझाने पे समझा...... :)
 अंकित 7 : 3० देहरादून पहुँचने पे,जब टैक्सी में बैठा हुआ आशा को फोन करता है
अंकित : अरे बड़े लोग ,भूल गए लगता है
आशा : अच्छा बच्चू ,खुद मेरी लड़की का B 'DAY भूल गया ,और मुझसे ही शिकायत ,ये बता राखी मिली मेरी ?
अंकित : हाँ हाँ ,राखी मिली लेकिन बाँधी नहीं
यह कहते ही अंकित ने फोन ऑफ कर लिया,आशा ने बार बार मिलाया लेकिन सारे प्रयास असफल ..
थोड़ी देर में घंटी बजती है और दरवाजे पे आशा अंकित को देखकर चौंक जाती है
अंकित : HAAAAAPY रक्षाबंधन ...!!!!
आशा ..HAWWWW ..तू पागल है ,तू यहाँ आया हुआ था क्या ? इतनी देर से फोन मिला रही थी ,,,हद्द  है ..पागल आज तो फ्लाइट भी बहुत महंगी होंगी ......और में इस उम्र्र में चॉकलेट खाऊँगी ?
अंकित : अरे अन्दर तो घुसने दो , सॉरी दी ,बस तुरंत ही प्रोग्राम बना ,इसलिए ये CHOCOLATE  ही ..
आशा : चुप पागल ,सबसे बड़ा गिफ्ट है तेरा TIME ,तू आया ,तूने हमको टाइम दिया ,ये कम बड़ा गिफ्ट है,बाकी गोल्डन रिंग तो ...तेरी थोड़ी सैलरी और बढ़ जाये ,ले ही लूंगी  ....
ठहाके लगने लगे ...
आशा को अपने सबसे प्यारे भाई का TIME  मिल गया था ,अंकित को त्यौहार के दिन परिवार का साथ और बच्ची  को, उनकी माँ को मिली हुई चॉकलेट ...और किसी को क्या चाहिए ?

अगर यह सूरज बडजात्या टाइप STORY बोर लगी हो तो गालियाँ आमंत्रित है ..कहानियों का सफ़र आगे भी चलता रहेगा ,..मुन्नू मियां भी आयेंगे .

Sunday, August 18, 2013

देशप्रेम :A short story


गर्मियां ज़ोरों पे थीं ,स्कूल की छुट्टियां और इंडिया-पाकिस्तान का मैच ,वो भी world cup.1999 में हुए इस मैच का रोमांच चरम पे था .2 बज चुके थे,पापा को office से आने में देरी थी और माँ सामने पड़ोसन के यहाँ थीं ,और हमे मौका मिल गया था मकानमालिक के यहाँ ,उनके साथ बैठकर मैच देखने का ,ऐसा नहीं था की tv हमारे यहाँ नहीं था ,लेकिन वो 90 's था, invertor और cable कनेक्शन जब कुछ ही घर में थे .
ख़ैर मैच शुरू हो चूका था ,cricket के माई-बाप सचिन ने जहां सही शुरुआत दी थी ,वहीँ द्रविड़ ने भी खूब संभाला था पारी को ,हर विकेट गिरते ही मकानमालिक अपने ही देश के खिलाडियों के सगे सम्बन्धियों को याद करते और रवि शास्त्री की कमेंटरी के बीच में उनकी डकार वाले sound effects ने हमारा जीना दूभर कर दिया था .कलाईयों का जादूगर अजहरुद्दीन आउट हुआ ,और उन्हें मौका मिल गया था " बेच दिया इस मुसलमान ने देश को " कहने को. किसी तरह 227 का स्कोर खड़ा किया भारत ने ,बहुत तो नहीं था ,लेकिन इंग्लैंड की स्विंग लेती पिचों पे अब सारा दारोमदार गेंदबाजो पे आ गया था.
दोपहर से शाम हो गयी थी ,पापा की आवाज़ आ रही थी लेकिन माँ शायद अभी भी पड़ोसन के यहाँ थीं ,ख़ैर अपने को तो आफरीदी और अनवर की जोड़ी टूटने से मतलब था ,आखिर जब तक माँ की आवाज़ खाना खाने को नहीं आजाती ,कौन जाये ये तमाशा छोड़ के ?श्रीनाथ और प्रसाद ने करिश्माई गेंदबाजी की थी , आफरीदी के गगनचुम्बी छक्कों से तो बच गए लेकिन इंजमाम ने बहुत तरसा रहा था.पाकिस्तान की बल्लेबाजी चरमरा गयी थी 139 -7,जीत दिख रही थी ,माँ की खाने के लिए बुलाने को आवाज़ आई लेकिन मकानमालिक ने जस के तस बैठे रहने को कहा ,क्रीज़ पे मोईन खान जो था,हम भी "Indian "ठहरे ,एक सच्चे देशप्रेमी ...नहीं गए.माँ ने कई आवाजों के बाद कहा ,रख दिया है,खा लेना सामने जा रही हूँ सिंह आंटी के,थोडा सा un-pampered फील करते हुए हमने सोचा दोपहर से रात हो गयी लेकिन औरतो की gossip.....,उफ्फ्फ्फ़ ...इसी बीच आखिरी विकेट 180 पे गिरा और ख़ुशी इतनी थी की हम "वर्ल्ड कप" जीत चुके हों .
मैं भागा हुआ अपने घर की और "yessssss ,yessssss " करता हुआ दौड़ा.
रात के 10 बज रहे थे ,लाइट आ चुकी थी.
माँ अभी भी पड़ोसन के यहाँ थी.मैं जब सामने पड़ोसन के यहाँ गया तो चीखों की आवाज़ सुनीं ,सिंह परिवार ,दो तीन औरतें ,जिनमें मेरी माँ भी थी आंटी को सांत्वना दे रही थी .TV पे ,man of the match ceremony की बजाय न्यूज़ चल रही थी और उस newsreader के बोल इस तरह थे "कारगिल में जो 350 जवान शहीद हुए ,उसकी सूची इस प्रकार से थी ....अब चलते हैं bollywood की और ......." सिंह आंटी का जवान बेटा कारगिल युद्ध में शहीद हुआ था .

सुबह अखबार में खबर कुछ इस तरह पढ़ी ...
Manchester :इंडिया 227 पकिस्तान 180 India won
Kargil :इंडिया 350 पाकिस्तान 500 -4000

.....वो खबर काफी थी देशप्रेम से रूबरू होने के लिए

Tuesday, August 6, 2013

Scrapbook : A story

स्क्रेपबुक भी अलग ही चीज़ होती थी .स्कूल छोड़ते वक़्त ये एकलौती किताब जिसे हर कोई भरना और देखना चाहता था ठीक आजकल के फेसबुक की तरह .किसका पहला crush कौन ,किसका best friend कौन,what i want to be, favorite food .....इसे देखने की उत्सुकता सभी में रहती थी और लड़कों को ये चीज़ें तो VIP ट्रीटमेंट जैसी लगती थी,अरे PERSONAL DETAILS लेना किसी ऑटोग्राफ से कम थोड़े ही था .......

तैयार होने के बाद सलोनी की नज़र bookshelf में रखी स्क्रैपबुक पे गयीं .
FRIENDSHIP DAY था उस दिन ,सलोनी ने रोली,अखिल,विनय को WHATSAPP कर दिया था .ख़ैर,सलोनी ने फोन से कई बार एक फ़ोन नंबर पे कॉल लगाया,लेकिन कई बार न उठने के बाद उफ़ कहकर फोन रख दिया.
सलोनी ने स्क्रैपबुक खोली और पहला पेज खोलते ही यादें ताज़ा हो गयीं....सबके डिटेल्स थे उसमें , मोहन को छोड़ के ......
कुछ दिन ही बचे थे स्कूल ख़त्म होने में,सलोनी,रोली और विनय लंच करके आ रहे थे.अखिल ने पीछे से सलोनी के टप्पा मारा और जल्दी से मार के भागा .रोली ,सलोनी जब उसकी और दौड़े , वो प.टी उषा की माफिक भागता हुआ क्लास के अन्दर घुस गया .12 :20 पे इंटरवल ख़तम होता था और अखिल 12 :17 पे क्लास में था .क्लास में आज कोई नहीं था ,सिवाय मोहन के.सलोनी का बैग खुला हुआ मोहन का सर सलोनी के बैग की और झुका हुआ था और हाथ में सौ का नोट .टिफ़िन की चोरियां तो आम थी, पिछले कुछ दिनों से क्लास में चोरियां हो रही थी पैसो की और सभी SHERLOCK HOLMES की तरह पकड़ना चाहते थे उस चोर को .ग्रुप्स में जहाँ लड़कियां एक दुसरे पे शक कर रही थीं वहीँ कुछ पढ़ाकू लड़के अपने बैग पे ताला लगाने लगे थे .कई बार principal और teachers आगाह कर चुके थे "आप में से ही कोई है ,पकडे जाने पे ससपेंड होगा स्कूल से " ....ब्योमकेश बक्शी हो गए थे सब 
अखिल मोहन की और अचम्भे में आगे बढ़ा .
मोहन पर किसी का शक नहीं गया था ,आखिर मोहन का काम गिटार बजाने और सीढ़ियों पे बैठ के सबको कमेंट पास करने तक जो सीमित था.तभी dhaaka सर ने एंट्री मारी क्लास में और जस की तस situation में खड़े दोनों को देख के समझ गये माझरा .ले गए बिना सुने कान पकड़कर मोहन को principal के पास और अखिल को गवाह के तौर पे .मोहन हो गया ससपेंड अगले 15 दिनों के लिए .जहां सलोनी खफा थी,वहीँ बाकी सब हैरान ,आखिर मोहन उन सबका पिछले तीन साल से दोस्त था ,वो ऐसे कैसे कर सकता था .........
तभी fon पे whatsapp ping हुआ और सलोनी ने स्क्रैपबुक बंद की और निकल पड़ी अपने दोस्तों से मिलने मॉल की ओर.
रोली ,अखिल ,विनय और मोहन वहाँ बैठे उसका इंतज़ार कर रहे थे ..सलोनी को देखते ही मोहन ने उसे केक देते हुए accent मारते हुए कहा : surprize !!!
सलोनी :मैंने कितनी बार फोन मिलाया ,...क्या हो गया है तुझको ...लम्बे बाल ..हाहाहा ,और क्या लाया है मेरे लिए ?? 
chocotrufelle केक !!!!!!!! केक देखते ही सलोनी उछल पड़ी ......और पूछा: तुम्हे कैसे पता ये मेरा favorite है ...?
मोहन ने याद दिलाया की सलोनी को chocotruffle केक पसंद है स्क्रैपबुक से ही पता चला और किस तरह उस दिन वो स्क्रैपबुक में बाकी लोगों के details पढने को बैग खोला था,ढूंढ ही रहा था तभी अखिल आया और फिर dhaaka और मामला खराब....और वो सौ रुपये मोहन के थे ,अपने बैग से निकालकर patties खाने जा ही रहा था ,तभी सोचा स्क्रैपबुक पढ़ ले ....
मोहन :आखिर दोस्त थे तुम्हारे , चोर नहीं ....वो तो अच्छा हुआ विनय ने guilt के मारे कुछ दिनों बाद कबूल लिया उसका गुनाह ,वर्ना तो पकोडे तल जाते board exams में हमारे ....पता तो तुम लोगों को लग गया था तभी लेकिन हम खुश नहीं थे ,....
अबे विनय मुह क्या लटकाया है ?? हमें पता है तू अब mature है,चल साले कुछ खिला,.....अपने b 'day पे क्लास में toffiyan भी नहीं बाँटता था ......चल...
मोहन के यही कहते सब हस पड़े....
sunday था ,सब अपने homtown में थे और सबसे बड़ी बात "busy " नहीं थे ....7 साल बाद मिले थे ये पांचो दोस्त ..जहां रोली hr मेनेजर थी एक कंपनी की ,अखिल दुबई में ब्रांड मेनेजर ,विनय govt जॉब में और अपने मोहन (मुन्नू मियां ) ....ज़िन्दगी(दोस्ती) जी रहे थे ..वो करना कम बड़ा काम है ...

Monday, August 5, 2013

Facebook Reminder : एक लघु कथा

अभी कुछ दिनों पहले हमारे एक मित्र ने अपना Facebook अकाउंट deactivate कर लिया ,ये देखने के लिए की कितने लोग उसे जन्मदिन की शुभकामनाएं देते हैं ,बिना facebook के याद दिलाये .जहां कुछ दोस्तों की कॉल्स आई ,वही कुछ दोस्त आसानी से भूल गए .जब अगले दिन जब उन्होंने अपना अकाउंट activate किया , दोस्तों को अपने भूले हुए जन्मदिन की guilty फील कराने को , वो भौंचक्का रह गया .

उनकी स्क्रीन के सामने उनके पुराने दोस्त का एक status अपडेट था ,जो उनमें से एक था जिसने उन्हें पिछले दिन जन्मदिन की बधाई दी थी .उसपे लिखा था " Thanks Friends for wishing me .Had great b'day yesterday ."

Friday, August 2, 2013

Class Monitor : A short story

वो soft -spoken पढ़ाकू और प्यारी होने के साथ-2 क्लास montior भी थी. स्कूल टाइम पे develop हुआ,अरे हाँ, आजकल की भाषा में कहे तो amanjot ,हमारी पहली crush थी .पहली लड़की थ, जिसने हमसे बात की थी ,बात क्या ,क्लास में हमें बाकी लडको के साथ चुहलबाजी देख झडपा था.ख़ैर, हमारे लिए तो वो ही बहुत था .हम भी बार -2 जान के अपने दोस्तों के साथ बकर करते ,जिससे उसका attention हमपे आये और हमारा नाम blackboard पे .आखिर टीचर की डांट की फ़िक्र किसे थी ....
मौका हमे भी मिला ,क्लास monitor भी बन गए ,लेकिन उसके करम ब्लैकबोर्ड पे आने लायक नहीं, साल के आखिर में result -board पे छपते थे.मिस करने लगा था उसका monitor बने रहना .उसकी झड़प ही सही ,बात करना चाहता था ,लेकिन डरता था की अगर girls -row की तरफ गया, तो हमारे निकम्मे दोस्त छोड़ेंगे नहीं हमें .शाहरुख़ खान की फिल्म में सुना था की अगर किसी चीज़ को दिल से चाहो ,तो पूरी कायनात उसे तुमसे मिलाने में लग जाती है ,आखिर वही हुआ .
टीचर ने हमे बुलाया पूरे साल की attendance नोट करके बच्चो को देने को .अब हमे तो खज़ाना मिल गया था ! बिना फेसबुक के जमाने के उन दिनों में ,वो register,सभी के private profile stalk करने जैसा था .घर के फोन से लेकर दादा-दादी तक का नाम,गड़े हुए धन की तरह मिला था.उसका नंबर नोट कर लिया था,आखिर अपने निकम्मे दोस्तों के बिना,private में,फोन पे साल भर की दिली तमन्ना पूरा करने का जो मौका था .
माँ अपनी सखी सहेलियों के साथ बहार बैठी थीं और हम फ़ोन के साथ. फ़ोन मिलाया और घंटी जाने लगी .हर घंटी के साथ हमारे दिल की धड़कन बढती और दिल की धड़कन बढ़ते-2 पसीने आ गये थे हाथ और माथे दोनों पे .फोन उठा और सुरीली आवाज़ में अमनजोत की आवाज़ में hello सुनाई दी,सब कुछ plan करने के बाद भी हम काँप रहे थे और बिना कुछ बोले उसके 4-5 बार hello कहने के बाद फ़ोन रख दिया .5 मिनट लग गये खुद को calm-down करने में.नीचे पार्क से मुन्नू मियां के अबे,तबे की आवाज़ आ रही थी .ख़ैर ,फिर से हिम्मत करके फोन लगाया और जैसे ही उसने उठाया,गाना चला दिया गया cassette player पे "बस एक सनम चाहिए................. आशिकी के लिए ..."....... ..........बीच में चेक करके देखा ,फोन काटा नहीं गया था ,जो इस बात का सबूत था की उसे हमारा ये अजीब proposal पसंद आया.गाना रोक गया और इससे पहले की हम कुछ कहते ,उधर से आवाज़ आई ,"कौन है ?मैंने ये नंबर नोट कर लिया है ,अभी पुलिस को देती हूँ ये नंबर " 
इसके बाद तो हमे कंपन आ गई पूरे शरीर में ,इस बार माथे, हाथ से निकलकर पसीने ने receiver सना दिया था .हर पल,इस डर के मारे की पुलिस आती ही होगी बाप-बेटे को पकड़ने ,मुझे फोन से लड़की को छेड़ने और उन्हें भी,क्यूंकि फोन उनके नाम पे था ,मेरा दिल फिर से धड़कने लगा .आगे क्या करना है समझ नहीं आ रहा था .तभी doorbell की आवाज़ सुनाई दी .हलक सूख चुका था ,दो पुलिस वालों के बारे में सोचते हुए दबे पाँव से परदे में से देखने की हिम्मत की.आखिरकार 3 बार bell बजने पे दरवाजा खोल ,तो पापा को नाराज़ लुक में खड़ा पाया .इससे पहले की वो कुछ कह पाते ,मैंने उनसे कहीं 
दूर ले जाने की बात कही और वो कुछ जवाब देते ,तभी फोन की घंटी बजी.मेरे कई बार उनको फोन न उठाने के असफल प्रयत्न करने के बाद भी उन्होंने उठाया और मैंने खुद से दबी आवाज़ में कहा " पापा नहीं....... , वो पुलिस होगी "
"सागर तुम्हारे लिए है , तुम्हारी classmate अमनजोत ",उन्होंने कुछ देर बाद कहा,अचंभित होते हुए ,होते भी क्यूँ ना ,आखिर पहली बार किसी लड़की का फोन आया था,वर्ना मुन्नू और निकम्मे दोस्त ही करते थे bat-ball के बुलावे को .अब इन दो बात से embaraased हो चुके हमने सोचा की अमनजोत ने हमे figureout कर ही लिया होगा .......
बेहद डरते और असहज होते हुए रिसीवर पकड़ के मरा हुआ Hello कहा ही था ..........और तभी मुझे,उधर से गाना सुनाई दिया " तुझको मिर्ची लगी ....तो मैं क्या करूं ".....